इंसान बेशक बदल जाये लेकिन कुत्ते कभी नही बदलते. कुत्तो को एक बार प्यार से खाना खिला देंगे तो वो आपका एहसान साडी ज़िन्दगी वफादारी से चुकायेंगे. वहीं अगर इन्सान को खाना खिला दो तो अगले ही पल वो आपके खून का प्यासा होने में देर नही लगाएगा. कुत्ते भारतीय सेना की हर तरीके से सम्भव मदद करते हैं.
कुत्तो की इतनी वफादारी और क़ुरबानी के बावजूद भी रिटायरमेंट के बाद सेना उन्हें गोली मार देती है. ऐसा क्यों होता है कि इन मासूमों को जान से हाथ धोना पड़ता है. चलिए सारे सवालों का जवाब जानते हैं इस पूरे आर्टिकल में.
तीन किस्म के कुत्ते रखे जाते हैं सेना में
भारतीय सेना में तीन नस्लों के कुत्तो को शामिल किया जाता है. और वह तीन नस्लें है लेब्राडोर, जर्मन शेफर्ड और बेल्जियन शेफर्ड.
सेना रखती है इनका पूरा ध्यान
भारतीय आर्मी में न केवल जवानों को ट्रेनिंग दी जाती है, बल्कि कुत्तो को भी पूरी तरह से ट्रेन्ड किया जाता है. सेना इन कुत्तो की खाने से लेकर हर तरह की देखभाल का ध्यान रखती है.
बेजुबानों को खाना पड़ता है ज़हर
ड्यूटी के दौरान अगर कोई कुत्ता लम्बे अरसे के लिए या एक महीने से ज्यादा समय के लिए बीमार हो जाता है तो उस को एनिमल यूथेनेशिया नामक ज़हर खिला क्र मार दिया जाता है.
आगे जानिए क्यों मार दिया जाता है इन बेकसूरों को...
अंग्रेजो के जमाने से चलती आ रही है ये रीत
जब भारत अंग्रेजो का गुलाम हुआ करता था, तभी से ये परम्परा चलती आ रही है. आज भी रिटायरमेंट के बाद कुत्तो को मार दिया जाता है.
मारने का एक कारण है ये
सेना में कुत्तो को मार डालने की सबसे अहम वजह होती है कि कुत्तो को उनके सरे सीक्रेट्स और ख़ुफ़िया रास्तो की जानकारी रहती है. इसलिए उन्हें मार दिया जाता है.
ये है दूसरा कारण
जानकार कुत्तो को किसी और को देना भारत देश के लिए या किसी भी देश के लिए खतरा हो सकता है.
कुत्तो को ये आदतें हो जाती हैं
कुत्तो को सेना में शामिल होने के बाद ख़ास तरह की ट्रेनिंग और भोजन दिया जाता है. जिनकी उन्हें आदत हो जाती है.
कोई दूसरा नही दे सकता वो आदतें पूरी
कुत्तो की आदतें सेना में जाकर बिगड़ी जाती है. जो आम इंसान उनकी आदतें नही झेल सकता. शयद इसलिए भी उनको मार दिया जाता है.
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